EVERYTHING ABOUT #ISLAMIC #SABAQ #DEEN #KA

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आज जिस पश्चिमी सभ्यता को महिलाओं का उद्धारक समझा जाता है। जबकि अगर गहराई के साथ सोंचा जाए तो उसने महिलाओं के अपमान में कोई कसर नहीं छोड़ी,और स्वतंत्रता के नाम पर उसको इस बात पर मजबूर कर दिया कि वह माँ होने की भी ज़िम्मेदारी पूरी करे और बाप की जिम्मेदारी का भी कुछ हिस्सा अपने उपर ले ले। उसे बच्चे को भी जन्म देना है,अपने बच्चों को दूध भी पिलाना है और उसके पालन-पोषण की भी जिम्मेदारी उठाना है। घरेलू कामों से भी निपटना है और साथ ही साथ नौकरी भी करनी है। और आमदनी बढ़ाने में भी हाथ बँटाना है। और फिर उसे इस प्रकार अपमानित किया गया कि माचिस की डिबिया से लेकर जेवरात, कपड़ों और फिल्मों के प्रचार तक हर जगह उसकी सुंदरता का प्रदर्शन किया जाता है और उसके मान सम्मान को निर्वस्त्र किया जाता है। क्या कोई सभ्य व्यक्ति अपनी माँ बहन या बेटी को निर्वस्त्र अवस्था में देखना स्वीकार करेगा?

हज़रत मौलाना राबेअ हसनी नदवी दामत बरकातहुम

आज जबकि मुसलमानों में मनमानी जीवन की विभिन्न आदतें प्रवेश कर गई हैं। जिनके कारण उम्मत-ए- मुस्लिमा व्यवहार एवं आचरण की ऊँचाई की जो विशेषताएँ हैं, वह अपने स्थान से हट गई है और दूसरों की विभिन्न बिगड़ी हुई विशेषताएँ भी मिश्रित हो गई हैं, इनसे मुसलमानों की ही नहीं इस्लाम की भी बदनामी हो रही है। इसलिए की मुसलमानों की इन बिगड़ी हुई आदतों और रस्मों को इस्लाम ही का नमूना समझा जाने लगा है। और इस प्रकार हम स्वयं इस्लाम को बदनाम करने का स्रोत बन रहे हैं। इसको दूर करना अति आवश्यक है, ताकि विभिन्न धर्मों एवं संस्कृतियों की इस मिश्रित आबादी में इस्लाम की अच्छाई और मानवता की जो विशिष्टता है उसको प्रमाणित कर सकें।

By the tip from the training course Each individual graduate will likely have attained the right tools for being a pillar for his Neighborhood and also have obtained spiritual progression, which we hope will continue on to boost article-graduation.

हज़रत मौलाना सैय्यद राबेअ हसनी नदवी दामत बरकातहुम

इस्लाम में दीनी निर्देश केवल इबादात (पूजा पाठ) के विशेष रूप में ही सीमित नहीं रखे गए हैं। बल्कि वह मानव जीवन के अन्य पहलुओं के लिए भी दिशा निर्देश रखते हैं। और इस्लाम में शरीयत उन्ही निर्देशों का नाम है। इस्लाम में इबादत का मतलब है जीवन के समस्त पहलुओं में अपने परवरदिगार अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की आज्ञाकारी। और यह आज्ञाकारी जीवन के उन पहलुओं में भी करनी है जो बज़ाहिर देखने में दुनिया के लाभों से संबंध रखती है। उदाहरणार्थ वैवाहिक जीवन, सामाजिक व्यवहार एवं आर्थिक एवं सामाजिक आवश्यकताएं। और इसी के साथ साथ रस्मो रिवाज। एक मुसलमान को उन सब पहलुओं में यह देखना होता है कि उनमें से कोई कार्य अल्लाह ताआला के आज्ञा के विरुद्ध ना हो।

शरीयत की सबसे बड़ी खूबी इसका सेहल होना है

तहरीके इस्लाहे मुआशेरा अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

तहरीके इस्लाहे मुआशेरा अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

ek khususiyat to yeh hai ke iske Aslaf ne is mulk mein panch(five) chhe(6) sadi tak intezaam sambhala hai aur kaidana kirdar bhi ada kiya hai is ke kaidana kirdar se is mulk ki tehzeeb-w-tamaddun par bhi asar Pada hai jisse is mulk ki khubiyon mein izafa hua hai isi ke saath apne gair muslim hum watnon ke saath Kisi magayirat ka nahi balki aala insani suluk ka suboot diya hai.

वही कानून सबसे ज्यादा पसंदीदा और काबिले कबूल हो सकता है जो समाज को अच्छी और ऊंची कदरों से परिचित कराने की सलाहियत रखता हो, और जिसमें व्यक्ति को एक दायरे में रखकर आजादी और विकास के अवसर प्राप्त हों। ऐसा कानून वही वही तैयार कर सकता है जो समाज की बुनियाद, पिछले परिवर्तनों और आने वाले इंकलाबात की सही जानकारी रखता हो, और जिसे इंसान के दिल की बातें, मानसिक रुजहान और व्यक्तिगत नफसियात का पूरा अंदाजा हो। कोई भी इंसान अपनी अद्वितीय बुद्धि, बृहद अनुभव और गहरे विद्वता के बाद भी प्रत्येक व्यक्ति की नफसियात, जज्बात और ख्वाहिशात की पूरी जानकारी नहीं रखता और न ही उसे देश व समाज की इतनी विस्तृत जानकारी हो सकती है कि वह पुर्व की get more info जानकारी के साथ भविष्य की पूरी जानकारी रखे, इसीलिये इंसानों के बनाये हुए सभी कवानीन टूटते रहते हैं, और प्रत्येक नया तजुर्बा इंसानों के बनाये हुए कवानीन की नाकामी का एलान करता रहता है।

Poore aalam se bohat se musalman hajj-e-baitullah ke liye rawana ho rahe hai, yani is farize ki adayegi ke liye jis ko Islam ka buniyadi sutun kaha gaya hai, jo mahaz jismani ibadat nahi balke ruhani ibadat bhi hai aur mali ibadat bhi. Haj ke ayyam mein banda Allah ke bohat karib hota hai, wo apne ghar ko, apne baccho ko aur apne ahbab ko garz har chiz ko chod kar Bina sile hue kapdo mein Allah ke paak ghar mein hazir hota hai aur us ki khushnudi chahta hai. Dauran e hajj jo arkaan ada kiye jate hai un par Allah ki janib se bada ajar ata kiya jata hai.

Rasul Allah (S.A.W) ne jo deen hum tak pahunchaya hain is ko mazbooti se tham lena aur danto se pakad lena har haal mein lazim hain. Akhri nabi(S.A.W) ne farmaye ke mai tum mein do chize chhod kar jaraha hu jab tak tum in ko mazbuti se pakade rahoge tum kisi gumrahi mein mubtelah na hoge in mein se pehli chiz Quran aur dusri Sunnat hain.

ہمیں شریعت کی روشنی میں زندگی کا سفر طئے کرنا ہے۔ شخصیات پر لکھے گئے مضامین حاصل کرنے اور ہنگامی مسائل سے متعلق بورڈ کا موقف جاننے, نیز بورڈ کی موجودہ سرگرمیوں سے باخبر رہنے کے لئے بورڈ کے آفیشیئل فیس بک پیج کو لائک کریں:

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